ऑर्गेनिक चना (Chickpeas) उगाने की विधि: HOW TO GROW ORGANIC CHICKPEAS/CHANA ?
1. चना की फसल का महत्व:
चना (Cicer arietinum) एक प्रकार की दलहनी फसल है, जिसे प्रायः "ग्राम" या "हम्मस" के रूप में खाया जाता है। यह प्रोटीन, फाइबर, और खनिजों का एक उत्कृष्ट स्रोत है। दुनिया भर में इसकी व्यापकता है, खासकर भारत, पाकिस्तान, तुर्की और अन्य दक्षिण एशियाई देशों में। इसके अलावा, यह फसल जैविक खेती में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है क्योंकि यह मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने में मदद करती है। चना नाइट्रोजन को पकड़ने वाले बैक्टीरिया के माध्यम से मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ाता है, जिससे अगले मौसम की फसलों के लिए मिट्टी उर्वरक होती है।
2. जैविक खेती का महत्व और लाभ:
जैविक खेती में रासायनिक खादों, कीटनाशकों और अन्य सिंथेटिक पदार्थों का उपयोग नहीं किया जाता। इसके बजाय, प्राकृतिक संसाधनों और प्रक्रियाओं का उपयोग किया जाता है। यह न केवल पर्यावरण को सुरक्षित रखता है, बल्कि उत्पादन में गुणवत्ता को भी बढ़ाता है। जैविक चना उगाने से मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम किया जाता है, और किसानों को लंबे समय में आर्थिक लाभ होता है।
3. चना उगाने के लिए उपयुक्त स्थान और जलवायु:
चना उगाने के लिए उपयुक्त जलवायु ठंडी और सूखी होती है। यह फसल मुख्यतः 15°C से 25°C के तापमान में बेहतर उगती है। अत्यधिक गर्मी और नमी चने के विकास को प्रभावित कर सकती है। इसलिए, चना के लिए सबसे उपयुक्त जलवायु क्षेत्र उन स्थानों पर होते हैं जहाँ साल में कम बारिश होती है। चना को उगाने के लिए हल्की बलुई मिट्टी या दोमट मिट्टी आदर्श रहती है। मिट्टी का pH स्तर 6 से 7 के बीच होना चाहिए।
4. मिट्टी की तैयारी:
चना उगाने से पहले मिट्टी की अच्छी तैयारी आवश्यक है। सबसे पहले, खेत को अच्छे से जुताई करके मिट्टी को नर्म और समतल बना लें। यदि भूमि कठोर है, तो इसमें सड़ी हुई गोबर की खाद या जैविक खाद डालें। यह मिट्टी को न केवल उर्वर बनाता है, बल्कि जलधारण क्षमता भी बढ़ाता है। इसके बाद, खेत में रोटावेटर से एक बार और जुताई करें ताकि मिट्टी में ऑक्सीजन पहुंच सके और फसल की जड़ें स्वस्थ रूप से विकसित हो सकें।
5. बीज का चयन:
ऑर्गेनिक चना उगाने के लिए, हमेशा प्रमाणित जैविक बीजों का उपयोग करें। जैविक बीजों का चयन करते समय यह सुनिश्चित करें कि बीज किसी भी प्रकार के रासायनिक उपचार से मुक्त हो। बीजों को बोने से पहले, उन्हें अच्छे से छांटकर सफाई करें और यदि आवश्यक हो, तो उन्हें हलके गर्म पानी में कुछ घंटों के लिए भिगोकर अंकुरण की दर बढ़ाई जा सकती है। बीजों का आकार और गुणवत्ता अच्छे होने चाहिए ताकि उनका अंकुरण पूरी तरह से हो सके।
6. बुवाई का समय:
चना की बुवाई मुख्यतः अक्टूबर से नवम्बर के बीच की जाती है, जब तापमान आदर्श सीमा के भीतर हो और बारिश की संभावना कम हो। बीजों को बुवाई से पहले 5 से 7 सेंटीमीटर की गहराई तक बोने की सलाह दी जाती है। पंक्तियों के बीच की दूरी 30 से 45 सेंटीमीटर और बीजों के बीच 5 से 7 सेंटीमीटर होनी चाहिए।
7. सिंचाई का ध्यान रखना:
चना एक सूखा सहनशील पौधा है, लेकिन इसे शुरुआती विकास के समय में थोड़ी सिंचाई की आवश्यकता होती है। पहली सिंचाई बुवाई के बाद 10-15 दिनों में दी जाती है, और इसके बाद सिंचाई की आवश्यकता मौसम और मिट्टी की नमी पर निर्भर करती है। अधिक पानी देने से जड़ सड़ सकती है, इसलिए सिंचाई में संतुलन बनाए रखना महत्वपूर्ण है। बुवाई के बाद, जब पौधे विकसित होने लगे, तो पानी की मात्रा कम करें।
8. जैविक पोषण और उर्वरक:
जैविक उर्वरक के रूप में गोबर की खाद, वर्मी कम्पोस्ट, और जैविक अमीनो एसिड का प्रयोग किया जाता है। चने की फसल को अधिक नाइट्रोजन की आवश्यकता नहीं होती है, क्योंकि यह स्वयं नाइट्रोजन को हवा से प्राप्त कर लेता है। हालांकि, फास्फोरस और पोटाश की आवश्यकता हो सकती है, जिसे जैविक रूप से रॉक फास्फेट और जैविक पोटाश से पूरा किया जा सकता है।
9. रोग और कीट नियंत्रण:
ऑर्गेनिक खेती में रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग नहीं किया जाता, लेकिन इसके स्थान पर प्राकृतिक उपायों का उपयोग किया जाता है। चने के पौधों पर आने वाले प्रमुख कीटों में सफेद मक्खी, घुन, और मिट्टी के कीड़े शामिल हैं। इनसे बचाव के लिए नीम का तेल, गार्लिक पेस्ट, और हल्दी का घोल का उपयोग किया जा सकता है। रोगों से बचाव के लिए जैविक फफूंदनाशकों का प्रयोग किया जाता है, जैसे कि बकार्डिया, त्रिचोडर्मा, या गुग्गुलू। इन प्राकृतिक उपायों का उपयोग करते हुए, किसान अपनी फसल को बिना किसी रासायनिक प्रभाव के सुरक्षित रख सकते हैं।
10. कटाई और पोस्ट-हार्वेस्ट प्रबंधन:
चना की फसल 90 से 100 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। जब पौधे के पत्ते पीले पड़ने लगे और फल सूखने लगें, तो यह कटाई का संकेत होता है। चने की फसल की कटाई हाथ से की जाती है या छोटे ट्रैक्टरों से की जाती है। कटाई के बाद, चने के दानों को अच्छे से सुखाना पड़ता है ताकि वे पूरी तरह से सूख जाएं और दीमक या अन्य कीड़ों से बच सकें। दानों को सूखा करने के बाद, उन्हें ठंडी जगह पर स्टोर किया जाता है।
11. लाभ और आर्थिक दृष्टिकोण: ORGANIC CHICKPEAS FOR BUSINESS
ऑर्गेनिक चना उगाने से किसानों को न केवल अच्छे गुणवत्ता वाले उत्पाद मिलते हैं, बल्कि उन्हें अच्छे दाम भी मिलते हैं। जैविक उत्पादों की बाजार में मांग बढ़ रही है, और उपभोक्ता अब रासायनिक मुक्त खाद्य उत्पादों की ओर बढ़ रहे हैं। इसके अलावा, ऑर्गेनिक खेती से मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहती है और दीर्घकालिक लाभ होता है। चने की फसल किसान के लिए एक लाभकारी विकल्प हो सकती है, क्योंकि यह कम लागत में उगाई जा सकती है और मार्केट में अच्छी कीमत पा सकती है।
भारत में, चना (Chickpeas) की सबसे अधिक पैदावार मध्य प्रदेश राज्य में होती है। यह राज्य चना के प्रमुख उत्पादकों में से एक है और भारत का सबसे बड़ा चना उत्पादक राज्य है। मध्य प्रदेश का उत्पादन भारत के कुल चना उत्पादन का लगभग 40-50% हिस्सा होता है।
इसके अलावा, चना उगाने वाले अन्य प्रमुख राज्य हैं:
-
मध्य प्रदेश - सबसे बड़ा उत्पादक राज्य।
-
राजस्थान - चना की खेती में एक महत्वपूर्ण राज्य।
-
महाराष्ट्र - चना उत्पादन में प्रमुख भूमिका निभाता है।
-
उत्तर प्रदेश - चने की खेती के लिए उपयुक्त है और अच्छा उत्पादन होता है।
-
आंध्र प्रदेश - यहाँ भी चना का अच्छा उत्पादन होता है।
-
कर्नाटका - इस राज्य में भी चने की खेती की जाती है।
बुवाई का समय:
चने की बुवाई अक्टूबर से नवंबर के बीच की जाती है, जब मौसम ठंडा और सूखा हो और बारिश का खतरा कम हो।-
कटाई का समय:
चने की फसल मार्च से अप्रैल तक पककर तैयार हो जाती है, जब गर्मी का मौसम आ जाता है।
सामान्य रूप से चने की खेती का कैलेंडर:
-
अक्टूबर - नवंबर: बुवाई का समय
-
फरवरी - मार्च: फूलने और फलने का समय
-
मार्च - अप्रैल: कटाई और थ्रेसिंग
बुवाई के लिए आदर्श तापमान:
चना के लिए आदर्श तापमान 15°C से 25°C तक होता है। ज्यादा गर्मी या नमी चने की फसल को प्रभावित कर सकती है, इसलिए इन महीनों में बुवाई की जाती है जब तापमान और मौसम दोनों उपयुक्त होते हैं।
चना के उपयोग:
-
पाक कला में उपयोग:
-
चना दाल:
यह भारतीय रसोई में सबसे सामान्य रूप से उपयोग किया जाने वाला व्यंजन है। चने की दाल को उबालकर और तड़का लगाकर सादे रोटियों या चावल के साथ खाया जाता है। -
हम्मस (Hummus):
यह एक लोकप्रिय मध्य-पूर्वी डिप है, जो उबले हुए चने, ताहिनी (तिल का पेस्ट), लहसुन, और जैतून तेल से बनता है। यह एक हेल्दी स्नैक है, जो चिप्स या सब्जियों के साथ खाया जाता है। -
पुलाव और करी:
चने को पुलाव या करी के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। चने की करी, विशेष रूप से चना मसाला, भारतीय और पाकिस्तानी व्यंजनों का एक अहम हिस्सा है। -
चना चाट:
चने को उबालकर, विभिन्न मसालों, प्याज, टमाटर और हरी धनिया के साथ चाट बनाई जाती है। यह एक स्वादिष्ट और सेहतमंद स्नैक होता है।
-
-
स्वास्थ्य लाभ:
-
प्रोटीन का स्रोत:
चना एक बेहतरीन प्रोटीन का स्रोत है, खासकर शाकाहारी आहार के लिए। यह शरीर की कोशिकाओं के निर्माण और मरम्मत में मदद करता है। -
फाइबर की उच्च मात्रा:
चना में फाइबर की भरपूर मात्रा होती है, जो पाचन प्रक्रिया को बेहतर बनाता है और आंतों की सेहत को सुधारता है। -
दिल के लिए फायदेमंद:
चने का नियमित सेवन कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद करता है और हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखता है। -
ब्लड शुगर कंट्रोल:
चना ग्लाइसेमिक इंडेक्स को कम करने में मदद करता है, जिससे डायबिटीज के मरीजों के लिए यह लाभकारी हो सकता है।
-
-
ऑर्गेनिक और प्राकृतिक उत्पादों में उपयोग:
-
चने का आटा (Gram Flour / Besan):
चने का आटा (बेसन) विभिन्न प्रकार के पकवान बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। इसे पकौड़ी, चिल्ले, और हलवा बनाने में उपयोग किया जाता है। -
स्वास्थ्यवर्धक चाय:
चने के दानों का चाय बनाने में भी उपयोग होता है। यह चाय शरीर को डिटॉक्सिफाई करने में मदद करती है।
-
-
कृषि में उपयोग:
-
मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में मदद:
चना एक दलहनी फसल है, जो हवा से नाइट्रोजन सोखने में मदद करता है और मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाता है। -
जैविक उर्वरक:
चने के पौधे को खेतों में जैविक खाद के रूप में भी उपयोग किया जाता है। इसे "नाइट्रोजन फिक्सर" माना जाता है, जिससे मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ती है।
-
-
चने से बने उत्पाद:
-
चने का दूध:
चने से प्लांट-आधारित दूध भी बनाया जाता है, जो शाकाहारी और डेयरी मुक्त आहार को प्राथमिकता देने वाले लोगों के लिए आदर्श है। -
चने का तेल:
चने के बीजों से ऑलिव ऑयल की तरह तेल निकाला जाता है, जो त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद होता है।
-
-
प्राकृतिक सौंदर्य उत्पादों में उपयोग:
-
चेहरे की त्वचा के लिए:
चने का पेस्ट चेहरे की त्वचा पर लगाने से झाइयां, दाग-धब्बे और मुँहासों को कम करने में मदद मिलती है। यह त्वचा को सॉफ्ट और ग्लोइंग बनाने में मदद करता है। -
बालों के लिए:
चने के आटे का उपयोग बालों को मजबूत और स्वस्थ बनाने के लिए किया जाता है। यह बालों की जड़ों को मजबूत करने और गिरने से रोकने में मदद करता है।
-
-
फीड और पशु आहार में उपयोग:
-
चने को पशुओं, विशेष रूप से गायों, बकरियों और मुर्गियों को आहार के रूप में भी दिया जाता है। यह उनके लिए प्रोटीन और अन्य पोषक तत्वों का अच्छा स्रोत है।
ORGANIC CHICKPEAS FOR HEALTH
-
-
प्रोटीन का अच्छा स्रोत:
चना में उच्च मात्रा में प्रोटीन होता है, जो मांसपेशियों के निर्माण और मरम्मत के लिए जरूरी है, खासकर शाकाहारी आहार में इसे एक बेहतरीन प्रोटीन स्रोत माना जाता है। -
फाइबर की उच्च मात्रा:
चना में भरपूर आहार फाइबर होता है, जो पाचन को बेहतर बनाता है और पेट के स्वास्थ्य को सुधारता है। यह कब्ज की समस्या को भी दूर करता है और रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। -
लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स:
चना का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जिससे यह रक्त में शुगर के स्तर को तेजी से बढ़ने से रोकता है। यह डायबिटीज के मरीजों के लिए लाभकारी है। -
दिल के लिए फायदेमंद:
चना में अच्छा मात्रा में मोनोअनसैचुरेटेड वसा और पॉलीअनसैचुरेटेड वसा होते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करते हैं और दिल के स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं। -
विटामिन्स और खनिज:
चना में विटामिन B6, फोलिक एसिड, आयरन, कैल्शियम, और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व होते हैं, जो हड्डियों की मजबूती, रक्त निर्माण और समग्र स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं। -
वजन घटाने में मदद:
चना एक लो कैलोरी, उच्च फाइबर वाला भोजन है, जो लंबे समय तक पेट को भरा हुआ महसूस कराता है, जिससे अत्यधिक खाने की आदतें कम होती हैं और वजन कम करने में मदद मिलती है NUTRITION FACTS
-
पोषक तत्व (Nutrient) मात्रा (Amount) ऊर्जा (Energy) 164 किलो कैलोरी कुल वसा (Total Fat) 2.6 ग्राम - संतृप्त वसा (Saturated Fat) 0.3 ग्राम - पॉलीअनसैचुरेटेड वसा (Polyunsaturated Fat) 1.0 ग्राम - मोनोअनसैचुरेटेड वसा (Monounsaturated Fat) 0.6 ग्राम कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) 0 मिलीग्राम सोडियम (Sodium) 24 मिलीग्राम कुल कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates) 27.4 ग्राम - आहार फाइबर (Dietary Fiber) 7.6 ग्राम - चीनी (Sugars) 4.8 ग्राम प्रोटीन (Protein) 8.9 ग्राम विटामिन C (Vitamin C) 1.3 मिलीग्राम विटामिन B6 (Vitamin B6) 0.5 मिलीग्राम फोलिक एसिड (Folic Acid) 172 माइक्रोग्राम आयरन (Iron) 2.9 मिलीग्राम कैल्शियम (Calcium) 49 मिलीग्राम पोटेशियम (Potassium) 291 मिलीग्राम मैग्नीशियम (Magnesium) 48 मिलीग्राम फास्फोरस (Phosphorus) 168 मिलीग्राम -
0 Comments