ORGANIC FARMING ADVANTAGES WE SUPPORT FARMERS
Organic Farming for Health & Farmer Growth
Organic farming is a sustainable agricultural practice that avoids synthetic chemicals, promotes soil health, and produces nutritious food. It benefits both consumers and farmers by ensuring better health, higher profits, and environmental protection.
Why Choose Organic Farming?
1. Health Benefits
Chemical-Free Food – No pesticides, herbicides, or GMOs, reducing cancer & chronic disease risks.
More Nutrients – Organic crops have higher antioxidants, vitamins, and minerals.
Safe for Children – Reduces exposure to harmful toxins in food.
2. Benefits for Farmers
Higher Profits – Organic produce sells at 20-30% higher prices than conventional crops.
Lower Input Costs – No need for expensive chemical fertilizers & pesticides.
Sustainable Soil – Improves soil fertility with compost & crop rotation, ensuring long-term productivity.
3. Environmental Protection
Saves Water – Organic soil retains moisture better.
Supports Biodiversity – Promotes bees, earthworms, and beneficial insects.
Reduces Pollution – No toxic runoff into rivers & groundwater.
Key Organic Farming Practices
1. Natural Soil Management
Use compost, cow dung, and green manure instead of chemical fertilizers.
Practice crop rotation to prevent soil depletion.
2. Organic Pest Control
Use neem oil, garlic-chili spray, and biopesticides.
Encourage ladybugs & birds to control pests naturally.
3. Water Conservation
Drip irrigation & mulching to reduce water wastage.
4. Non-GMO & Traditional Seeds
Use desi (indigenous) seeds for better resilience.
How Farmers Can Transition to Organic Farming?
Start Small – Convert a portion of land first.
Get Certified – Obtain India Organic (NPOP) or PGS-India certification.
Market Smartly – Sell directly to organic stores, farmers' markets, or online platforms.
Government Support for Organic Farming
Paramparagat Krishi Vikas Yojana (PKVY) – Subsidies for organic farming.
Mission Organic Value Chain Development (MOVCD) – Support for Northeast farmers.
Jaivik Kheti Portal – Online platform for organic farmers.
Conclusion
Organic farming is not just a trend but a necessity for a healthier future. It ensures:
✔ Safe, nutritious food for consumers
✔ Higher income & sustainability for farmers
✔ A cleaner, greener planet
ORGANIC FARMING IN DETAILS
आज के समय में जब पर्यावरण प्रदूषण, रासायनिक खादों का अत्यधिक उपयोग और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियाँ बढ़ रही हैं, ऐसे में जैविक खेती (Organic Farming) एक आशा की किरण बनकर उभरी है। यह खेती की एक ऐसी पद्धति है जो प्रकृति के नियमों के अनुरूप होती है और उसमें रसायनों, कीटनाशकों और रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग नहीं किया जाता।
जैविक खेती का अर्थ Meaning of Organic
जैविक खेती का अर्थ है ऐसी खेती करना जिसमें केवल प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किया जाता है जैसे—गोबर की खाद, वर्मीकंपोस्ट, हरी खाद, नीम की खली, गोमूत्र आदि। इसका उद्देश्य भूमि की उर्वरता को बनाए रखना, पर्यावरण की रक्षा करना और उपभोक्ताओं को विषमुक्त व पोषणयुक्त भोजन उपलब्ध कराना होता है।
जैविक खेती का इतिहास ORGANIC HISTORY
भारत में जैविक खेती की परंपरा हजारों वर्षों पुरानी है। हमारे पूर्वज रासायनिक खादों का प्रयोग किए बिना ही उन्नत खेती किया करते थे। आधुनिक जैविक खेती की शुरुआत 20वीं शताब्दी के मध्य में हुई जब पश्चिमी देशों में रासायनिक खेती से जुड़ी समस्याएं सामने आने लगीं।
जैविक खेती के प्रमुख सिद्धांत TYPES OF ORGANIC FARM
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मिट्टी की देखभाल: मिट्टी को जीवित मानते हुए उसकी उर्वरता बनाए रखना।
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प्राकृतिक चक्रों का पालन: फसल चक्र, हरी खाद और जैव विविधता को अपनाना।
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रासायनिक मुक्त खेती: रसायनों, कीटनाशकों और रासायनिक उर्वरकों से परहेज़।
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प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण: पानी, ऊर्जा और जैव संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग।
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स्वस्थ भोजन का उत्पादन: उपभोक्ताओं को सुरक्षित और पौष्टिक खाद्य उत्पाद उपलब्ध कराना।
जैविक खेती के लाभ
1. स्वास्थ्य के लिए लाभकारी
जैविक उत्पादों में रासायनिक अवशेष नहीं होते, जिससे वे शरीर के लिए हानिकारक नहीं होते।
2. मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार
प्राकृतिक खादों से मिट्टी में जीवाणुओं की संख्या बढ़ती है जिससे इसकी उर्वरक क्षमता बनी रहती है।
3. पर्यावरण की रक्षा
जैविक खेती से प्रदूषण नहीं होता, जल स्रोत सुरक्षित रहते हैं और जैव विविधता बनी रहती है।
4. कृषक को दीर्घकालिक लाभ
शुरुआत में लागत अधिक हो सकती है, लेकिन लंबी अवधि में यह टिकाऊ, सस्ती और लाभदायक होती है।
5. बाज़ार में अच्छी कीमत
जैविक उत्पादों की मांग दिन-ब-दिन बढ़ रही है, जिससे इन्हें ऊँचे दाम पर बेचा जा सकता है।
जैविक खेती की विधियाँ
1. हरी खाद का प्रयोग
धनिया, मूंग, उड़द, सनई जैसी फसलें खेत में उगाकर जुताई करके मिट्टी में मिला दी जाती हैं। इससे मिट्टी को प्राकृतिक नाइट्रोजन मिलती है।
2. वर्मी कम्पोस्ट
केंचुओं द्वारा तैयार की गई खाद जिसमें भरपूर पोषक तत्व होते हैं और यह मिट्टी की संरचना को बेहतर बनाती है।
3. जीवामृत व घनजीवामृत
गाय के गोबर, गोमूत्र, गुड़, बेसन आदि से तैयार किया गया घोल जो फसल की वृद्धि और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
4. नीम के कीटनाशक
नीम के बीज व पत्तियों से तैयार किए गए प्राकृतिक कीटनाशक कीट नियंत्रण में सहायक होते हैं।
5. फसल चक्र अपनाना
हर वर्ष एक ही फसल उगाने की बजाय फसल चक्र अपनाकर मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखना।
जैविक खेती के लिए आवश्यक बुनियादी सुविधाएँ
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सिंचाई के लिए पर्याप्त जल स्रोत
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देशी गाय की उपलब्धता (गोबर, गोमूत्र हेतु)
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जैविक खाद और कीटनाशक तैयार करने की जानकारी
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खेत की नियमित निगरानी
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विपणन सुविधा और जैविक प्रमाणन
जैविक खेती बनाम पारंपरिक खेती
पहलु | जैविक खेती | पारंपरिक (रासायनिक) खेती |
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उर्वरक | गोबर, हरी खाद, वर्मी कम्पोस्ट | रासायनिक उर्वरक (DAP, Urea) |
कीटनाशक | नीम तेल, दशपर्णी अर्क | रासायनिक कीटनाशक |
लागत | शुरुआत में अधिक | शुरू में कम |
उत्पादन | पहले वर्ष कम | शुरू में अधिक |
मिट्टी की स्थिति | उर्वरता बनी रहती है | समय के साथ घटती है |
स्वास्थ्य प्रभाव | सुरक्षित | हानिकारक हो सकते हैं |
भारत में जैविक खेती की स्थिति
भारत में कई राज्य जैसे—सिक्किम, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, केरल आदि जैविक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं। सिक्किम तो 2016 में पूर्ण रूप से जैविक राज्य घोषित हो चुका है। इसके अलावा मध्यप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और कर्नाटक में भी जैविक खेती का रकबा बढ़ रहा है।
सरकारी प्रयास और योजनाएँ
भारत सरकार "परम्परागत कृषि विकास योजना" (PKVY), "राष्ट्रीय जैविक खेती मिशन" (NPOF) जैसी योजनाओं के माध्यम से जैविक खेती को प्रोत्साहित कर रही है। इन योजनाओं के तहत किसानों को प्रशिक्षण, सब्सिडी और प्रमाणन की सुविधाएँ दी जाती हैं।
जैविक उत्पादों की मार्केटिंग
जैविक उत्पादों को बेचना पारंपरिक फसलों की तुलना में चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसके लिए:
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जैविक प्रमाणपत्र आवश्यक होता है।
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किसान बाजार, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और प्रत्यक्ष बिक्री के माध्यम से विपणन किया जा सकता है।
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FPOs (Farmer Producer Organizations) की सहायता ली जा सकती है।
चुनौतियाँ
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जैविक उत्पादों का प्रमाणन प्रक्रिया कठिन और खर्चीली है।
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शुरुआती वर्षों में उत्पादन में कमी आती है।
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किसान को उचित प्रशिक्षण और मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है।
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जैविक उत्पादों के लिए उपयुक्त बाजार उपलब्ध नहीं होते।
भविष्य की संभावनाएँ
जैविक खेती का भविष्य उज्ज्वल है। जैसे-जैसे लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ रही है, वैसे-वैसे जैविक उत्पादों की मांग भी बढ़ रही है। सरकार और निजी क्षेत्र के सहयोग से जैविक खेती को मुख्यधारा में लाया जा सकता है।
सफल जैविक किसान: प्रेरणादायक उदाहरण
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सुभाष पालेकर: शून्य लागत प्राकृतिक खेती के जनक।
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भारत भूषण त्यागी: जैविक खेती के क्षेत्र में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित।
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कृष्णा यादव (दिल्ली): रसोई से खेती तक का सफर।
TIPS:
जैविक खेती सिर्फ एक खेती की तकनीक नहीं, बल्कि एक विचारधारा है जो प्रकृति, मानव और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए रखने का कार्य करती है। यह किसानों को आत्मनिर्भर बनाती है, उपभोक्ताओं को स्वास्थ्यवर्धक भोजन प्रदान करती है और पृथ्वी को टिकाऊ बनाती है।
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