किसान ऑर्गेनिक खेती से कैसे लाभ उठा सकते हैं?
(How Farmers Can Benefit from Organic Farming)
प्रस्तावना:
भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहाँ अधिकांश जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। बदलते समय में रासायनिक खेती के दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं – मिट्टी की उर्वरता में गिरावट, पानी की गुणवत्ता में कमी, और किसानों की आय पर असर। ऐसे में ऑर्गेनिक खेती (जैविक कृषि) एक वैकल्पिक और लाभदायक उपाय बनकर उभर रही है।
ऑर्गेनिक खेती न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि इससे किसानों को आर्थिक, सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधित लाभ भी मिलते हैं।
1. लागत में कमी
रासायनिक खेती में किसान को खाद, कीटनाशक और हाइब्रिड बीजों पर भारी खर्च करना पड़ता है। वहीं ऑर्गेनिक खेती में:
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गोबर खाद, वर्मी कम्पोस्ट, हरी खाद जैसे स्थानीय संसाधनों का उपयोग होता है।
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यह संसाधन किसानों को अपने खेत में या गांव में ही मिल जाते हैं।
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कीटनाशकों की जगह नीम की खली, गोमूत्र, दशपर्णी अर्क जैसे प्राकृतिक उपाय इस्तेमाल होते हैं।
इससे खेती की कुल लागत 30% तक कम हो सकती है।
2. मिट्टी की उर्वरता में सुधार
रासायनिक खादें धीरे-धीरे मिट्टी की प्राकृतिक बनावट को नुकसान पहुंचाती हैं। वहीं ऑर्गेनिक खेती में:
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जैविक पदार्थ मिट्टी में जैविक कार्बन बढ़ाते हैं।
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मिट्टी के सूक्ष्मजीव सक्रिय रहते हैं जो पौधों के पोषण में सहायक होते हैं।
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जलधारण क्षमता और वायु-संचार बेहतर होता है।
इससे मिट्टी की उत्पादकता लंबे समय तक बनी रहती है।
3. फसल की गुणवत्ता और बाजार मांग
ऑर्गेनिक उत्पाद:
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स्वाद में बेहतर होते हैं।
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पोषक तत्व अधिक होते हैं।
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रसायन मुक्त होने के कारण स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं।
बाजार में जैविक उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है, विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों और निर्यात बाजारों में।
इससे किसान को परंपरागत उत्पादों की तुलना में 20–40% अधिक मूल्य मिल सकता है।4. निर्यात और प्रीमियम मार्केट एक्सेस
भारत से कई जैविक उत्पाद जैसे – ऑर्गेनिक हल्दी, धनिया, अदरक, अनार, चाय, और चावल – विदेशों में निर्यात होते हैं।
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निर्यातकों और ऑर्गेनिक कंपनियों के साथ अनुबंध खेती (Contract Farming) का विकल्प खुलता है।
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विदेशों में जैविक उत्पादों के लिए "प्रीमियम प्राइस" मिलती है।
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किसानों के लिए आय के नए स्त्रोत बनते हैं।
इसके लिए किसान को जैविक प्रमाणन (Organic Certification) प्राप्त करना होता है, जिसे सरकारी योजनाएं सहयोग देती हैं।
5. किसान की सेहत में सुधार
रासायनिक खेती में काम करने वाले किसान:
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कीटनाशकों के संपर्क में आते हैं।
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त्वचा, फेफड़ों और आंखों से संबंधित बीमारियों का खतरा होता है।
वहीं ऑर्गेनिक खेती में:
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प्राकृतिक सामग्री का प्रयोग होता है जो मानव स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित है।
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किसान और उनके परिवार की सेहत सुरक्षित रहती है।
6. जल और पर्यावरण की सुरक्षा
ऑर्गेनिक खेती:
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रासायनिक नाइट्रेट और फॉस्फेट के इस्तेमाल को रोकती है, जिससे जल स्रोत प्रदूषित नहीं होते।
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मिट्टी का कटाव कम होता है और कार्बन का स्तर बढ़ता है।
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जैव विविधता को बढ़ावा देती है – पक्षी, कीड़े, केंचुए आदि का प्राकृतिक संतुलन बना रहता है।
यह खेती जलवायु परिवर्तन से लड़ने में भी मदद करती है।
7. सरकारी सहायता और योजनाएं
सरकार जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही है:
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परमपरागत कृषि विकास योजना (PKVY)
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राष्ट्रीय जैविक खेती मिशन (NPOF)
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MOVCDNER (पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए विशेष योजना)
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जैविक प्रमाणन के लिए सहायता
इन योजनाओं के तहत:
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प्रशिक्षण
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जैविक खाद और कीटनाशक बनाने की इकाइयों के लिए सहायता
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बाजार से जोड़ने में मदद
इससे किसान को प्रशिक्षण, तकनीकी मदद और सब्सिडी का लाभ मिलता है।
8. रोजगार और ग्रामीण विकास
ऑर्गेनिक खेती में:
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वर्मी कम्पोस्ट, पंचगव्य, और स्थानीय खाद निर्माण जैसे गतिविधियों में स्थानीय लोगों को रोजगार मिलता है।
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जैविक कृषि आधारित स्टार्टअप्स जैसे - ऑर्गेनिक स्टोर्स, फार्म टूरिज्म, प्रोसेसिंग यूनिट आदि स्थापित किए जा सकते हैं।
यह ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार और स्वरोजगार को बढ़ावा देता है।
9. फसल विविधता और जोखिम प्रबंधन
रासायनिक खेती अक्सर एक या दो मुख्य फसलों तक सीमित होती है। जैविक खेती में:
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मिश्रित फसलों, अंतरफसली और बहुफसली प्रणाली को बढ़ावा मिलता है।
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इससे किसान की आय के स्त्रोत विविध होते हैं और एक फसल के नुकसान पर भी संपूर्ण नुकसान नहीं होता।
👉 यह जोखिम को कम करता है और आय को स्थिर करता है।
10. आत्मनिर्भरता और आत्मसंतोष
जब किसान:
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अपने खेत में उत्पादित बीज, खाद और कीटनाशकों पर निर्भर हो जाता है,
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तो उसकी "आत्मनिर्भरता" और आत्मसम्मान में वृद्धि होती है।
ऑर्गेनिक खेती एक प्राकृतिक जीवनशैली को अपनाने की ओर प्रेरित करती है, जिससे किसान खुद को प्रकृति के करीब महसूस करता है।
निष्कर्ष (Conclusion):
ऑर्गेनिक खेती न सिर्फ एक वैकल्पिक तरीका है, बल्कि यह आने वाले समय की "स्मार्ट खेती" है। यह पर्यावरण के प्रति संवेदनशील, स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित और आर्थिक रूप से फायदेमंद है।
किसान अगर सही मार्गदर्शन और समर्थन के साथ ऑर्गेनिक खेती की ओर बढ़ते हैं, तो न केवल उनकी आय बढ़ेगी बल्कि आने वाली पीढ़ियों को एक स्वच्छ, स्वस्थ और सुरक्षित पर्यावरण भी मिलेगा।
3. MOVCDNER – Mission Organic Value Chain Development for North Eastern Region
उद्देश्य:
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पूर्वोत्तर भारत में ऑर्गेनिक खेती और उसकी वैल्यू चेन का विकास।
लाभ:
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इन्पुट सब्सिडी: ₹31,000 प्रति हेक्टेयर (3 वर्षों तक)
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प्रमाणीकरण सहायता: ₹9000 प्रति हेक्टेयर
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प्रसंस्करण और पैकेजिंग यूनिट: 75% तक सब्सिडी
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मार्केटिंग सपोर्ट, ब्रांडिंग, ट्रेड फेयर में भागीदारी
4. राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY – Rashtriya Krishi Vikas Yojana)
उद्देश्य:
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राज्यों को लचीलापन देना ताकि वे अपनी ज़रूरत के अनुसार जैविक खेती को बढ़ावा दे सकें।
लाभ:
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ऑर्गेनिक फार्मिंग पर आधारित मॉडल क्लस्टर विकसित करना
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फसल विविधीकरण और वैल्यू एडिशन के लिए सहायता
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राज्यों के अनुसार सब्सिडी की राशि अलग-अलग हो सकती है
5. Jaivik Bharat Logo & Certification (FSSAI + PGS Certification)
उद्देश्य:
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किसानों को PGS India (Participatory Guarantee System) के तहत ऑर्गेनिक प्रमाणन देना (सरल और निःशुल्क प्रक्रिया)
लाभ:
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मुफ्त या कम लागत पर जैविक प्रमाणीकरण
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Jaivik Bharat Logo के तहत उत्पादों की बिक्री संभव
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ग्राहकों में विश्वास बढ़ता है, उत्पाद की वैल्यू बढ़ती है
अतिरिक्त सहायता:
सहायता का प्रकार | विवरण |
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बैंक लोन पर सब्सिडी | NABARD के माध्यम से खेती से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए |
ट्रेनिंग व वर्कशॉप | कृषि विज्ञान केंद्र (KVKs), राज्य कृषि विश्वविद्यालय |
ऑर्गेनिक मार्केट लिंक | ई-नाम पोर्टल, जैविक मंडी, FPOs के माध्यम से |
स्टार्टअप सहायता | प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना और स्टार्टअप इंडिया मिशन के तहत |
किसान के लिए सुझाव:
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कृषि विभाग या KVK से संपर्क करें – अपने क्षेत्र में लागू योजनाओं की जानकारी लें।
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FPO या किसान समूह बनाएं – क्लस्टर आधारित सहायता प्राप्त करना आसान होगा।
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PGS India प्रमाणन के लिए आवेदन करें – यह सरल और ऑनलाइन प्रक्रिया है।
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ऑर्गेनिक मार्केट और कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कंपनियों से जुड़ें – स्थायी आय की संभावना बढ़ती है।
ऑर्गेनिक खेती न केवल पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है, बल्कि सरकार की सब्सिडी और योजनाओं के ज़रिए यह अब आर्थिक रूप से भी किसानों के लिए फायदेमंद बन चुकी है। किसानों को चाहिए कि वे इन योजनाओं का लाभ उठाएं, स्थानीय कृषि अधिकारियों से संपर्क करें और आने वाले समय की मांग – जैविक कृषि – को अपनाएं।
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