हरी मटर की जैविक खेती: how to grow green peas organically
हरी मटर (Green Peas) एक पौष्टिक और लोकप्रिय सब्जी है, जिसकी जैविक खेती करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। जैविक तरीके से मटर उगाने से न केवल मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है, बल्कि स्वस्थ और रसायन-मुक्त उत्पादन भी होता है। इस गाइड में हम मटर की जैविक खेती के सभी पहलुओं को विस्तार से समझेंगे।
मटर की जैविक खेती के फायदे
मिट्टी की सेहत सुधरती है – जैविक खाद और कम्पोस्ट का उपयोग मिट्टी को उपजाऊ बनाता है।
कीटनाशकों का खतरा नहीं – प्राकृतिक तरीकों से कीट नियंत्रण होता है।
बाजार में अच्छी कीमत – जैविक मटर की मांग बढ़ रही है, जिससे किसानों को अधिक मुनाफा होता है।
पर्यावरण अनुकूल – जैविक खेती जल और मिट्टी को प्रदूषित होने से बचाती है।
मटर की उन्नत किस्में (Improved Varieties of Peas)
अर्ली मटर: अगेती फसल के लिए उपयुक्त (जैसे – अर्किल, पूसा प्रभात)।
मध्यम समय वाली किस्में: (जैसे – पूसा 88, पंत मटर 42)।
देर से पकने वाली किस्में: (जैसे – पूसा 10, अजय)।
बौनी किस्में: कम जगह में उगाने के लिए (जैसे – पंत मटर 25)।
जलवायु और मिट्टी की आवश्यकता
जलवायु: मटर की खेती के लिए ठंडा मौसम (15-22°C) उपयुक्त है।
मिट्टी: दोमट या बलुई दोमट मिट्टी, जिसमें जल निकासी अच्छी हो।
pH स्तर: 6.0-7.5 (हल्का अम्लीय से न्यूट्रल)।
खेत की तैयारी
गहरी जुताई: मिट्टी को 2-3 बार अच्छी तरह जोतें।
खाद डालना: प्रति एकड़ 10-12 टन गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट मिलाएं।
बेड बनाना: जलभराव से बचने के लिए उठी हुई क्यारियाँ बनाएं।
बीज की बुवाई (Sowing Seeds)
बीज दर: 35-40 किलोग्राम प्रति एकड़।
बुवाई का समय: उत्तर भारत में अक्टूबर-नवंबर, दक्षिण में सितंबर-अक्टूबर।
बीजोपचार: नीम का तेल या ट्राइकोडर्मा से उपचारित करें।
बुवाई की दूरी:
पंक्ति से पंक्ति: 30-45 सेमी
पौधे से पौधे: 5-7 सेमी
गहराई: 2-3 इंच
जैविक खाद एवं उर्वरक प्रबंधन
गोबर की खाद: 10-12 टन/एकड़
वर्मीकम्पोस्ट: 2-3 टन/एकड़
जैविक उर्वरक:
राइजोबियम कल्चर (बीज उपचार)
PSB (फॉस्फेट घोलक जीवाणु)
हरी खाद: सनई या ढेंचा की फसल को मिट्टी में मिलाएं।
सिंचाई प्रबंधन
पहली सिंचाई: बुवाई के 3-4 दिन बाद
दूसरी सिंचाई: 10-12 दिन बाद
फूल आने पर: हल्की सिंचाई करें
फलियाँ बनते समय: नमी बनाए रखें
ध्यान रखें: ज्यादा पानी देने से फसल खराब हो सकती है।
जैविक कीट एवं रोग नियंत्रण
प्रमुख कीट:
फली छेदक कीट: नीम का तेल (5 मिली/लीटर पानी) छिड़कें।
एफिड्स (माहू): गौमूत्र + नीम का घोल (1:10) स्प्रे करें।
कटुआ कीट: हाथ से इकट्ठा कर नष्ट करें।
प्रमुख रोग:
पाउडरी मिल्ड्यू: गंधक का छिड़काव (3 ग्राम/लीटर पानी)।
रस्ट (जंग): नीम + लहसुन का काढ़ा स्प्रे करें।
खरपतवार नियंत्रण
हाथ से निराई: 20-25 दिन बाद
मल्चिंग: पुआल या कार्बनिक पदार्थ बिछाएं
जैविक खरपतवारनाशी: कॉर्न ग्लूटेन मील (अंकुरण रोकने के लिए)
फसल की कटाई और उपज
कटाई का समय: बुवाई के 90-110 दिन बाद
पहली तुड़ाई: जब फलियाँ हरी और मुलायम हों
उपज: 60-80 क्विंटल/एकड़ (अच्छी देखभाल से 100 क्विंटल तक)
जैविक प्रमाणीकरण (Organic Certification)
भारत में मान्यता प्राप्त संस्थाएं:
NPOP (नेशनल प्रोग्राम फॉर ऑर्गेनिक प्रोडक्शन)
PGS-India (पार्टिसिपेटरी गारंटी सिस्टम)
प्रक्रिया:
3 साल तक रासायनिक खेती बंद करें।
जैविक तरीकों का रिकॉर्ड रखें।
निरीक्षण के बाद प्रमाणपत्र मिलता है।
बाजार और मुनाफा
जैविक मटर की कीमत: ₹40-80/किलो (सामान्य से 20-30% अधिक)
बेचने के स्थान:
स्थानीय ऑर्गेनिक मंडी
बिगबास्केट, नेचरस बास्केट जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म
होटल/रेस्तरां को सीधे बेचें
Note
हरी मटर की जैविक खेती कम लागत, अधिक मुनाफा और पर्यावरण संरक्षण का बेहतरीन विकल्प है। अगर आप रासायनिक खेती से जैविक खेती की ओर बढ़ना चाहते हैं, तो मटर एक अच्छी शुरुआत हो सकती है।
हरी मटर की खेती: किसानों के लिए लाभदायक बिजनेस
हरी मटर (Green Peas) की खेती भारतीय किसानों के लिए एक बेहतरीन कमाई का जरिया है। इसकी मांग घरेलू बाजार के साथ-साथ प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी बहुत ज्यादा है। यह फसल कम समय में तैयार हो जाती है और अच्छा मुनाफा देती है। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि कैसे किसान हरी मटर की खेती को एक सफल बिजनेस के रूप में अपना सकते हैं।
1. हरी मटर की खेती क्यों शुरू करें?
1.1 बढ़ती मांग
घरों, होटलों और फूड प्रोसेसिंग कंपनियों में हरी मटर की मांग सालभर रहती है।
फ्रोजन पीज और पैक्ड फूड इंडस्ट्री में इसका भारी उपयोग होता है।
1.2 कम समय में तैयार फसल
मटर की फसल 90-110 दिन में तैयार हो जाती है।
एक साल में दो बार (रबी और खरीफ) उगाई जा सकती है।
1.3 अच्छा मुनाफा
सामान्य खेती में ₹20-40/किलो और जैविक खेती में ₹50-80/किलो तक कीमत मिलती है।
एक एकड़ से 60-100 क्विंटल उत्पादन संभव है।
हरी मटर की खेती के लिए आवश्यक शर्तें
2.1 जलवायु
आदर्श तापमान: 15-22°C
बुवाई का समय:
उत्तर भारत: अक्टूबर-नवंबर
दक्षिण भारत: सितंबर-अक्टूबर
मिट्टी
सर्वोत्तम मिट्टी: दोमट या बलुई दोमट
pH स्तर: 6.0-7.5
जल निकासी: अच्छी होनी चाहिए
हरी मटर की उन्नत किस्में
किस्म | विशेषता |
---|---|
पूसा प्रभात | अगेती फसल, 90 दिन में तैयार |
पंत मटर 42 | अधिक उपज, रोग प्रतिरोधी |
अर्किल | ठंडे क्षेत्रों के लिए उपयुक्त |
पूसा 10 | देर से पकने वाली, उच्च गुणवत्ता |
4. खेत की तैयारी
4.1 जुताई
2-3 बार गहरी जुताई करें।
मिट्टी को भुरभुरा बनाएं।
भारत में हरी मटर (Green Peas) की खेती मुख्य रूप से ठंडे मौसम वाले राज्यों में अधिक होती है। हरी मटर एक शीतकालीन फसल है और इसे ठंडे व समशीतोष्ण जलवायु की आवश्यकता होती है। भारत के कुछ प्रमुख राज्य जहाँ सबसे ज्यादा हरी मटर की खेती होती है, वे हैं:
उत्तर प्रदेश — उत्तर प्रदेश भारत में हरी मटर उत्पादन में सबसे आगे है। यहाँ की जलवायु और उपजाऊ दोमट मिट्टी मटर की खेती के लिए बहुत अनुकूल मानी जाती है।
मध्य प्रदेश — मध्य प्रदेश में भी बड़ी मात्रा में हरी मटर की खेती होती है, विशेष रूप से ठंडी ऋतु के दौरान। यहाँ किसान ऑर्गेनिक खेती की ओर भी तेजी से बढ़ रहे हैं।
पंजाब — पंजाब का ठंडा मौसम और उपजाऊ मिट्टी हरी मटर के लिए आदर्श मानी जाती है। यहाँ की खेती तकनीक उन्नत है, जिससे उत्पादकता भी अच्छी रहती है।
हरियाणा — हरियाणा में भी सर्दियों के मौसम में मटर की खेती बड़े पैमाने पर होती है। यहाँ किसान कई उन्नत किस्मों और जैविक तरीकों से मटर उगाते हैं।
बिहार — बिहार में भी सर्दियों में हरी मटर की खेती बड़े क्षेत्र में की जाती है। यहाँ की मिट्टी और तापमान मटर के विकास के लिए अनुकूल हैं।
राजस्थान — राजस्थान के कुछ भागों, विशेषकर पूर्वी राजस्थान में, सर्दियों में हरी मटर की अच्छी खेती होती है।
इसके अलावा हिमाचल प्रदेश और झारखंड जैसे राज्य भी हरी मटर उत्पादन में योगदान करते हैं, लेकिन वहाँ यह अपेक्षाकृत छोटे पैमाने पर होता है।
अगर आप चाहें तो मैं आपको हर राज्य में मटर की खेती के विशेष तरीकों और ऑर्गेनिक तकनीकों के बारे में भी विस्तार से बता सकता हूँ।
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